जे.पी के कुछ और दोहे
कुछ मेरा कुछ आप का अगर मिले सहयोग ।
शब्दों का इक पुल बना बढे चले हम लोग ॥
संस्कार स्वाहा हुए , रिश्ते हुये शहीद ।
मर्यादा खंडित हुयी , मिट्टी हुयी पलीद ॥
गुणवत्ता गायब हुयी विज्ञापन का ज़ोर ।
माल वही बिकता यहाँ जिसका जितना शोर॥
जीवन भर की संगनी सुख - दुःख दे साथ ।
कभी न उसको छोडिये पकड़ा जिसका हाथ ॥
सुख मिलता है तभी जब , मिले सही प्रतिसाद ।
ग़लत प्रशंसा व्यक्ति को देता, है अवसाद ॥
अंजुरी भर प्यार दो
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Shabd-setu
श्री जय प्रकाश त्रिपाठी
Sunday, June 1, 2008
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1 comment:
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति. धन्यवाद
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