आस्मान जितना नहीं बस अंजुरी भर प्यार दो
उम्र की देहलीज पर तुम फिर वही अभिसार दो
तुम कहो तो आज फिर आंखों में अंजन आंज लूँ
रात रानी से वही शर्मीली कलियाँ मांग लूँ
एक चुटकी मांग भर फिर रूप को शृंगार दो
आस्मान जितना नहीं बस अंजुरी भर प्यार दो ॥
अंजुरी भर प्यार दो
शब्दसेतु में रचनाधर्मिता से जुड़े सभी लोगों का हार्दिक स्वागत है. शब्दसेतु एक ऐसा मंच है जहाँ आप अपनी रचनाओं को प्रकाशित कर सकते हैं. यदि आपकी रचनाएँ स्तरीय हैं तो आपको अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ हेतु आमंत्रित किया जा सकता है तथा आपकी रचनाओं को प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित भी किया जा सकता है
Shabd-setu
श्री जय प्रकाश त्रिपाठी
Saturday, May 17, 2008
शब्दसेतु
शब्दसेतु एक साहित्यिक संस्था है जिसकी स्थापना कवि एवं देश के शीर्ष मंच संचालक, श्री जय प्रकाश त्रिपाठी एवं कवयित्री श्रीमती प्रेमलता त्रिपाठी ने की है। इस संस्था के तत्वावधान में अब तक पांच सौ से अधिक कवि सम्मेलन का आयोजन हो चुका है। संस्था देश के प्रतिभावान कवियों एवं कवयित्रियों को गरिमामय मंच प्रदान करती है तथा नए प्रतिभाशाली कवियों को भी समुचित प्रोत्साहन प्रदान करती है ।
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