जयप्रकाश त्रिपाठी का जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जनपद (ग्राम - नेवास ) में हुआ । बचपन से ही साहित्य में गहरी रूचि रखने वाले श्री त्रिपाठी अपने स्कूल और काँलेज के समय ही अपनी वाक् क्षमता व साहित्यिक प्रतिभा का परिचय देने में सफल रहे । विज्ञान एवं अभियांत्रिकी का छात्र होने के बावजूद उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है । ओजस्वी व मधु सिक्त बाणी के धनी श्री त्रिपाठी की आवाज में वह खनक है जो श्रोताओ
को को सहज ही सम्मोहित कर देती है । गत १५ वर्षों से हिन्दी कवि सम्मेलनों / संगोष्ठियों का संचालन करने वाले कवि जयप्रकाश त्रिपाठी की गणना आज देश के चुनिंदा एवं लोकप्रिय मंच संचालकों में होती है । कई सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थाएं इनके इस हुनर को सम्मानित और प्रोत्साहित कर चुकी हैं । राजभाषा हिन्दी के प्रचार - प्रसार में उत्कृष्ट योगदान देने हेतु परमाणु ऊर्जा विभाग भारत सरकार ने इन्हें वर्ष २००५-०६ में राजभाषा भूषण सम्मान से अलंकृत किया है । काव्य संस्कारों से दीक्षित इस रचनाकार को आप भी अपने कार्यक्रमों में आजमा सकते है ।
श्री त्रिपाठी की व्यंग रचना की एक झलक -
पता नहीं क्यों अपने मुलुक का आदमी ,
माइक पकड़ते ही अपनी औकात भूला जाता है
गुनाहों का देवता भी मंच से नैतिकता का परचम लहराता है
बड़ा अजीब सा लगता है -
जब हाथों में आरी लेकर चलने वाला आदमी
पर्यावरण के उपलक्ष में बसंत के गीत गुनगुनाता है
पता नहीं क्यों .......
अंजुरी भर प्यार दो
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श्री जय प्रकाश त्रिपाठी
Monday, May 26, 2008
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