अंजुरी भर प्यार दो

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श्री जय प्रकाश त्रिपाठी

श्री जय प्रकाश त्रिपाठी

Saturday, May 17, 2008

अंजुरी भर प्यार दो

आस्मान जितना नहीं बस अंजुरी भर प्यार दो
उम्र की देहलीज पर तुम फिर वही अभिसार दो

तुम कहो तो आज फिर आंखों में अंजन आंज लूँ
रात रानी से वही शर्मीली कलियाँ मांग लूँ
एक चुटकी मांग भर फिर रूप को शृंगार दो
आस्मान जितना नहीं बस अंजुरी भर प्यार दो ॥

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