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श्री जय प्रकाश त्रिपाठी

श्री जय प्रकाश त्रिपाठी

Monday, May 26, 2008

जयप्रकाश त्रिपाठी

जयप्रकाश त्रिपाठी का जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जनपद (ग्राम - नेवास ) में हुआ । बचपन से ही साहित्य में गहरी रूचि रखने वाले श्री त्रिपाठी अपने स्कूल और काँलेज के समय ही अपनी वाक् क्षमता व साहित्यिक प्रतिभा का परिचय देने में सफल रहे । विज्ञान एवं अभियांत्रिकी का छात्र होने के बावजूद उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है । ओजस्वी व मधु सिक्त बाणी के धनी श्री त्रिपाठी की आवाज में वह खनक है जो श्रोताओ
को को सहज ही सम्मोहित कर देती है । गत १५ वर्षों से हिन्दी कवि सम्मेलनों / संगोष्ठियों का संचालन करने वाले कवि जयप्रकाश त्रिपाठी की गणना आज देश के चुनिंदा एवं लोकप्रिय मंच संचालकों में होती है । कई सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थाएं इनके इस हुनर को सम्मानित और प्रोत्साहित कर चुकी हैं । राजभाषा हिन्दी के प्रचार - प्रसार में उत्कृष्ट योगदान देने हेतु परमाणु ऊर्जा विभाग भारत सरकार ने इन्हें वर्ष २००५-०६ में राजभाषा भूषण सम्मान से अलंकृत किया है । काव्य संस्कारों से दीक्षित इस रचनाकार को आप भी अपने कार्यक्रमों में आजमा सकते है ।
श्री त्रिपाठी की व्यंग रचना की एक झलक -
पता नहीं क्यों अपने मुलुक का आदमी ,
माइक पकड़ते ही अपनी औकात भूला जाता है
गुनाहों का देवता भी मंच से नैतिकता का परचम लहराता है
बड़ा अजीब सा लगता है -
जब हाथों में आरी लेकर चलने वाला आदमी
पर्यावरण के उपलक्ष में बसंत के गीत गुनगुनाता है
पता नहीं क्यों .......

1 comment:

Prabhakar Pandey said...

सादर प्रणाम,

बहुत ही अच्छा लगा त्रिपाठीजी के बारे में जानकर। वैसे मैं त्रिपाठीजी की विद्वता को सांस्कृतिक संरक्षण संस्था द्वारा आयोजित "संगणक से विविध उपयोग एवं हिंदी" विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी में प्रणाम कर चुका हूँ। त्रिपाठीजी की सादगी, हँसमुखता और मधुरभाषिता उनकी विद्वता में चार चाँद लगा देते हैं।
अच्छी और काम की जानकारी के लिए बहुत-बहुत आभार।
प्रभाकर पाण्डेय
आई.आई.टी. मुंबई।
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